28 February Current Affairs in Hindi के इस Section में हमारे द्वारा आपके लिए IE , The Hindu , Down To Earth , Times News , BBC News के अलावा अन्य महत्वपूर्ण Websites जैसे Air India Radio , AAKASHVANI , PIB News , Business standard , Mint जैसे प्रमुख अखबारों का विश्लेषण करते हैं |

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मैं भी रानी चेनम्मा अभियान / नानू रानी चैनम्मा अभियान

चर्चा में क्यों ?

ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ कित्तूर की रानी चैनम्मा के विद्रोह के 200 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में कित्तूर द्वारा मैं भी रानी चैनम्मा अभियान शुरु किया गया है, यह अभियान 21 फरवरी को लांच किया गया है। कित्तूर ने नानू रानी चैनम्मा अभियान शुरु किया है जिसका हिंदी अर्थ है मैं भी रानी चैनम्मा।

रानी चैनम्मा के बारे में Current affairs

कित्तूर की रानी चैनम्मा ब्रिटिश सरकार के खिलाफ विद्रोह छेड़ने वाली महिलाओं में से एक थी जिन्होंने कित्तूर पर अपना नियंत्रण बनाए रखने के लिए 1824 में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ अभियान शुरु कर दिया था , रानी चैनम्मा की लड़ाई अंग्रेजो की डॉक्ट्रिन ऑफ लैंप्स नीति के खिलाफ दी जिस नीति के चलते अंग्रेजी सरकार ने रानी चैनम्मा के दत्तक पुत्र को मान्यता प्रदान नहीं की थी , जिससे निराश होकर रानी चैनम्मा ने युद्ध छेड़ते हुए अंग्रेज सरकार ने जॉन ठाकरे की हत्या कर दी और युद्ध में प्रारम्भिक जीत दर्ज की थी , हालांकि रानी चैनम्मा को अंग्रेजों ने कैद कर लिया था और इसी दौरान रानी चैनम्मा कि निधन हो गया था।

रानी चैनम्मा की जीवनी

रानी चैनम्मा का जन्म कर्नाटक के बेलगाम स्थित ग्राम ककती में 1778 को हुआ था और इनकी शादी बेलगाम के कित्तूर राजघराने में हुई थी, इन्होंने अपने पति मल्लासारजा और पुत्र के निधन के बाद अपने दत्तक पुत्र शिवलिंगप्पा को अपना उत्तराधिकारी बनाया था जिसे अंग्रेजी सरकार ने स्वीकार नहीं किया जिसके बाद रानी चैनम्मा ने युद्ध शुरू किया था । 21 फरवरी 1829 को अंग्रेजों की की कैद में रानी चैनम्मा की मृत्यु हो गयी थी ।

पंकज उधास का निधन

चिट्टी आई है ___ न‌ कजरे की धार न मोतियों का हार जैसे मशहूर गाने देने वाले ग़ज़ल गायक पंकज उधास का 72 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है , पंकज उधास ने नाम , साजन ,मोहरा जैसी प्रमुख फिल्मों में काम किया था ।

हिंदू धर्म स्थान और धार्मिक बंदोबस्त (संशोधन) विधेयक 1997

हाल ही में कर्नाटक सरकार ने विधानसभा में हिंदू धर्म स्थान और धार्मिक बंदोबस्त संशोधन विधेयक 1997 पारित किया हैं जो कि राज्य की विधान परिषद में पारित नही हो सका हैं इसे लेकर राज्य की विपक्षी पार्टियों ने सरकार पर तीखा हमला बोला हैं ।

प्रमुख बिंदु

इस विधेयक में राज्य में स्थित हिंदू मंदिरों पर होने वाली आय अथवा चढ़ावे पर Tax लगाने का प्रावधान किया गया हैं

  • विधेयक के अनुसार 10 लाख से कम आय वाले मंदिरो को आयकर से मुक्त रखा गया हैं
  • ऐसे मंदिर जिनकी आय प्रतिमाह 10 लाख से अधिक किंतु 1 करोड़ से कम हैं उन पर 5% आयकर लगाने का प्रस्ताव हैं
  • जबकि राज्य के ऐसे मंदिर जिनकी आय एक करोड़ से अधिक हैं उन पर 10% आयकर लगाने का प्रस्ताव इस संशोधन विधेयक में दिया गया हैं

दुनिया का पहला लकड़ी का सेटेलाइट

टेक्नोलॉजी के मामले में अक्सर आगे रहने वाले देश जापान ने हाल ही में अपनी स्पेस एजेंसी JAXA की मदद से लकड़ी से बने सेटेलाइट को अंतरिक्ष के भेजने की तैयारियो कर ली हैं जापान द्वारा निर्मित लकड़ी के इस सेटेलाइट का नाम लिग्रोसेट रखा गया हैं जिसे क्योटो यूनिवर्सिटी और लॉगिंग कंपनी सुमितोमो वानिकी ने मिलकर बनाया हैं।

  • इस सेटेलाइट को बनाने के लिए मैगनोलिया नामक लकड़ी का इस्तेमाल किया गया हैं
  • लकड़ी का सेटेलाइट बनाने के पीछे जापान का तर्क हैं की अधिकांश सेटेलाइट धातु की परत के बनाएं जाते हैं और जब कोई सेटेलाइट अंतरिक्ष में क्रैश हो जाती हैं तो वह धातु के कण ऊपरी वातावरण में रह जाते हैं जिससे पृथ्वी के वातावरण को नुकसान पहुंचता हैं
  • जबकि लकड़ी बायोडिग्रेडेबल होती हैं जो प्राकृतिक तरीके से प्रकृति में मिलकर खत्म हो जाती है और प्रकृति को नुकसान नहीं पहुंचाती हैं।

अकबर शेर एवं सीता शेरनी विवाद क्या है current affairs

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में विश्व हिंदू परिषद द्वारा पश्चिम बंगाल के कोलकाता हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गयी है जिस में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी स्थित वाइल्ड एनिमल पार्क में शिफ्ट किए दो शेरों के नाम सम्राट अकबर एवं हिंदू देवी माता सीता के नाम पर रखें गये है जो कि ईशानिंदा एवं हिंदू धर्म की भावनाएं आहत करने वाला है।

विश्व हिंदू परिषद द्वारा दाखिल इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट ने दोनों शेरों के नाम बदलने के साथ साथ टिप्पणी की है कि लोगों को जानवरों के ऐसे नाम रखने से बचना चाहिए जिससे जनसमुदाय की अथवा किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचे। जानवरों के नाम मुस्लिम धर्म, ईसाई धर्म, हिंदू धर्म अथवा स्वतंत्रता सेनानियों या फिर धार्मिक देवी देवताओं के नाम पर रखें जाने से बचना चाहिए।

अकबर शेर और सीता शेरनी

अकबर शेर एवं सीता शेरनी मामले की पृष्ठभूमि क्या है?

यह पूरा वाकया उस समय शुरु हुआ जब दो शेरों को त्रिपुरा के सिपाहीजला जूलॉजिकल पार्क से पश्चिम बंगाल में स्थित सिलीगुड़ी के वाइल्ड एनिमल पार्क में शिफ्ट किया तब दोनों शेरों के नाम मुस्लिम सम्राट अकबर एवं हिंदू देवी माता सीता के नाम पर रखें जाने पर आपत्ति दर्ज कराते हुए विश्व हिंदू परिषद ने विरोध जताया और कहा कि यह ईशानिंदा और हिंदुओं की धार्मिक मान्यताओं पर सीधा हमला है ।

वहीं दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल के उत्तरबंगा सवांद नामक अखबार में संगीर खोजें अस्तिर सीता नामक खबर छपी थी जिसका अर्थ है सीता शेरनी को एक साथी की तलाश है जिसके बाद विवाद बढ़ गया था।

जिस पर पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में स्थित वाइल्ड एनिमल पार्क के अधिकारियों का कहना है कि इन दोनों शेरों के नाम त्रिपुरा में स्थित सिपाहीजला जूलॉजिकल पार्क में ही रखें गये थे और हमारे पदाधिकारियों के मध्य दोनों शेरों के नाम बदलने की चर्चा चल रही थी तब तक याचिका दाखिल कर दी गई।

जानवरों के नाम रखें जाने पर भारतीय कानून क्या कहता है?

वास्तविक रूप से जब भी किसी जानवर को किसी चिड़िया घर / नेशनल पार्क अथवा जूलॉजिकल पार्क में शिफ्ट किया जाता है तो वहां के पदाधिकारियों द्वारा इस जानवर की खानें पीने, स्वास्थ्य की देखभाल, रहन सहन की व्यवस्था, समयावधि पर वैक्सीन,दवा इत्यादि देने का कार्य किया जाता हैं जिसके लिए प्रत्येक जानवर को एक पहचान चिह्न दिया जाता है जिसमें प्रत्येक जानवर का नाम भी रखा जा सकता है क्योंकि नाम के आधार पर किसी भी जानवर की आसानी से पहचान हो जाती है किंतु किसी भी जानवर का नाम रखें जाने के लिए भारतीय कानून में कोई भी प्रावधान नहीं है जिसके आधार पर जानवर का नाम रखा जा सकता हो अथवा नहीं ‌

ईशनिंदा क्या होता है ?

किसी भी धार्मिक मान्यताओं, धार्मिक प्रतीकों अथवा धर्म का मज़ाक़ बनाना ईशनिंदा के अंतर्गत आता हैं , ईशनिंदा के लिए विभिन्न देशों में अलग अलग कानून हैं किंतु भारत में फिलहाल ईशनिंदा को लेकर कोई कानून नहीं है किंतु विभिन्न IPC की धाराओं में ईशनिंदा को लेकर मुकदमा दर्ज कराया जा सकता है और ईशनिंदा करने वाले व्यक्ति के खिलाफ ट्रायल कोर्ट में मुकदमा चलाया जा सकता है।

सिपाहीजला जूलॉजिकल पार्क के बारे में

सिपाहीजला जूलॉजिकल पार्क भारत के त्रिपुरा में स्थित एक वन्यजीव अभयारण्य है जो कि 18.53 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ है , इस अभ्यारण्य को 1987 में संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया था

निष्कर्ष – अगर इस मामले को देखा जाए तो देश में ऐसे बहुत से मामले है जिनके आधार पर बार बार धार्मिक भावनाओं को आहत किये जाने का प्रयास होता रहा है हालांकि इस मामले पर हाईकोर्ट ने सुनवाई की है लेकिन फिर भी जनसहयोग से ही इस तरह के मामलों को सुलझाने का प्रयास किया जाना चाहिए अन्यथा यदि इस तरह से केस दर्ज कराए जाएं तो अदालत में इस तरह के केसों की लंबी फेहरिस्त हो जाएगी ।

शरद पवार गुट को नया चुनाव चिह्न दिया गया हैं current affairs

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी NCP के संस्थापक को एक नया चुनाव चिह्न तुरही बजाता आदमी दिया गया हैं आपको बता दे कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी NCP के अध्यक्ष शरद पवार और उनके भतीजे अजीत पवार में वर्चस्व की लड़ाई चल रही थी जिसमे अजीत पवार की जीत हुई हैं और शरद पवार की पार्टी को अब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शरद पवार के नाम से जाना जाएगा ।

पार्टी मतभेद में चुनाव आयोग की भूमिका – जब भी किसी पार्टी के अध्यक्ष पद अथवा पार्टी स्वामित्व को लेकर झगड़ा होता हैं तो उस पार्टी की सत्ता किसके हाथ में रहेगी ये चुनाव आयोग तय करता हैं चुनाव आयोग पार्टी की सत्ता किसी को सौंपने से पहले तीन प्रमुख बातो पर ध्यान देता हैं

  1. पार्टी की संपति पर अधिकार
  2. पार्टी पदाधिकारियों की संख्या
  3. चुने हुए प्रतिनिधियों की संख्या

राजनीतिक दल पर पर दो अलग अलग गुट अपनी दावेदारी जताते हैं तो चुनाव आयोग द्वारा ऊपर दिए गए तीनों प्रमुख बिंदुओं द्वारा यह तय किया जाता हैं की राजनीति दल का असली नेता कौन होगा और किस गुट के पास पार्टी सिंबल रहेगा , किंतु पार्टी की संपति और पार्टी पदाधिकारियों के बारे में निष्पक्ष जानकारी प्राप्त होने में कभी कभी चुनाव आयोग को दिक्कतों का सामना करना पड़ता हैं इसलिए चुनाव आयोग द्वारा पार्टी में चुने हुए प्रतिनिधियों की संख्या के आधार पर पार्टी के असली गुट के नेता का फैसला किया जाता हैं

चुनाव आयोग के बारे में – Election commission of India (भारतीय निर्वाचन आयोग) एक स्वतंत्र निकाय हैं जिसकी स्थापना 1950 में की गई थी , 25 जनवरी 1950 को चुनाव आयोग की स्थापना के दिवस को राष्ट्रीय मतदाता दिवस के रूप में मनाया जाता हैं , इस आयोग में एक मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्त की समिति होती हैं , जिनकी नियुक्ति भारतीय राष्ट्रपति द्वारा की जाती हैं चुनाव आयुक्त का कार्यकाल 65 वर्ष उम्र तक होता हैं और यह अधिकतम 6 वर्ष तक आपने पद पर रह सकते हैं ।

प्रिय विधार्थियों हम आशा करते हैं आपको Gca sansar द्वारा लिखित Daily current affairs in Hindi का yaj आर्टिकल पसंद आया होगा ।

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