भारत में तेंदुओं की संख्या में वृद्धि का विश्लेषण

भारत में तेंदुओं की संख्या में वृद्धि का विश्लेषण नामक Gca sansar की इस पोस्ट को Indian Express में प्रकाशित रिपोर्ट What India’s latest leopard population estimates suggest से एनालिसिस किया गया हैं जिसमे Upsc/Bpsc current affairs Subject – Environmental Studies को कवर किया गया है।

चर्चा में क्यों

हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार 2018 की तुलना में 2022 में भारत में तेंदुओं की संख्या में 7.95% की वृद्धि हुई हैं और राज्य के अनुसार सबसे अधिक तेंदुओं की संख्या मध्य प्रदेश में हैं जबकि सबसे कम तेंदुए अरूणांचल प्रदेश में हैं ।

  • 2018 में भारत में कुल तेंदुओं की संख्या 12,852 थी जो 2022 में बढ़कर 13,874 हो गई हैं ।
  • 2022 में सबसे अधिक तेंदुए मध्य प्रदेश राज्य में 3907 जबकि सबसे कम अरूणांचल प्रदेश में 42 हैं

तेंदुए के बारे में जानकारी

भारतीय तेंदुए (वैज्ञानिक नाम पेंथेरा पार्डस फुस्का) भारत, नेपाल, भूटान एवं पाकिस्तान के विभिन्न वनों के क्षेत्र में पाए जाते हैं, यह शीर्ष परभक्षी होने के कारण खाद्य श्रृंखला की श्रेणी में शीर्ष पर आते हैं तथा संतुलित पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार तेंदुएं की आबादी उस तरह से नहीं बढ़ी है जिस तरह से बाघों की संख्या में वृद्धि हुई है किंतु तेंदुएं की संख्या की यथास्थिति का प्रबंधन बनाए रखना भी संतुष्टि की बात है

प्रमुख बिंदु

  • शिवालिक की पहाड़ियों एवं गंगा के मैदानी इलाकों में तेंदुओं की संख्या में सालाना 3.4% की गिरावट दर्ज की गयी है।
  • सन 2018 में इन क्षेत्रों में तेंदुओं की संख्या 1253 थी जो 2022 में घटकर 1109 रह गयी है
  • इन क्षेत्रों के अलावा कुछ राज्यों जैसे ओड़िशा, गोवा , केरल , तेलंगाना, छत्तीसगढ़, बिहार, उत्तराखंड में भी तेंदुओं की संख्या में गिरावट दर्ज हुई है।
  • तेंदुओं की संख्या में गिरावट के पीछे एक कारण बाघों की संख्या में वृद्धि होना भी हो सकता हैं किंतु राजाजी एवम कार्बेट राष्ट्रीय उद्यानों में तेंदुओं की संख्या स्थिर बनी हुई है
  • अवैध शिकार , निवास स्थान में कमी एवम सड़क दुर्घटनाओं में तेंदुए की मृत्यु होना भी इनकी संख्या में गिरावट होने का एक प्रमुख कारण हैं
भारत में तेंदुओं की संख्या की रिपोर्ट
2018 और 2022 में तेंदुओं की संख्या में अंतर (Source – IE)

मानव तेंदुओं का संघर्ष (एक रिपोर्ट)

निवास स्थान एवम आहार संबंधी प्राथमिकता के मामले में तेंदुओं की अनुकूलशीलता उन्हें कृषि देहाती क्षेत्रों, वृक्षारोपण एवं मानव वस्ती के निकट पनपने में वृद्धि करती है लेकिन इससे मानव तेंदुएं के संघर्ष में वृद्धि हुई है , जारी रिपोर्ट के अनुसार शिवालिक के क्षेत्र में तेंदुओं की 65% आबादी संरक्षित क्षेत्र के बाहर पायी गयी है

  • उत्तराखंड वन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार पिछले पांच वर्षों में वन्यजीवों के कारण होने वाली मानव मृत्यु में 30% मौतें तेंदुएं के चलते हुयी है
  • इस रिपोर्ट के अनुसार मानव तेंदुएं के संघर्ष में सबसे प्रभावित राज्य महाराष्ट्र रहा है जहां पिछले 7 वर्षों में 113 घातक हमले हुए हैं
  • जबकि कर्नाटक में 100 से अधिक घातक हमले तेंदुओं ने किए हैं ।
  • केरल राज्य में 2013 से 2019 तक 547 घटनाएं हुई हैं जिसमें 173 पशुओं की मौत हुयी है
  • उत्तर प्रदेश द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार 38% हमले उस समय हुएं जब शिकार या तो घर के अदंर था या फिर घर के आस पास मौजूद था जबकि 40% संघर्ष कृषि क्षेत्रों में हुएं हैं।

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के बारे में पढ़ें यहां क्लिक करें

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