अकबर शेर एवं सीता शेरनी विवाद क्या है
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में विश्व हिंदू परिषद द्वारा पश्चिम बंगाल के कोलकाता हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गयी है जिस में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी स्थित वाइल्ड एनिमल पार्क में शिफ्ट किए दो शेरों के नाम सम्राट अकबर एवं हिंदू देवी माता सीता के नाम पर रखें गये है जो कि ईशानिंदा एवं हिंदू धर्म की भावनाएं आहत करने वाला है।
विश्व हिंदू परिषद द्वारा दाखिल इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट ने दोनों शेरों के नाम बदलने के साथ साथ टिप्पणी की है कि लोगों को जानवरों के ऐसे नाम रखने से बचना चाहिए जिससे जनसमुदाय की अथवा किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचे। जानवरों के नाम मुस्लिम धर्म, ईसाई धर्म, हिंदू धर्म अथवा स्वतंत्रता सेनानियों या फिर धार्मिक देवी देवताओं के नाम पर रखें जाने से बचना चाहिए।
अकबर शेर एवं सीता शेरनी मामले की पृष्ठभूमि क्या है?
यह पूरा वाकया उस समय शुरु हुआ जब दो शेरों को त्रिपुरा के सिपाहीजला जूलॉजिकल पार्क से पश्चिम बंगाल में स्थित सिलीगुड़ी के वाइल्ड एनिमल पार्क में शिफ्ट किया तब दोनों शेरों के नाम मुस्लिम सम्राट अकबर एवं हिंदू देवी माता सीता के नाम पर रखें जाने पर आपत्ति दर्ज कराते हुए विश्व हिंदू परिषद ने विरोध जताया और कहा कि यह ईशानिंदा और हिंदुओं की धार्मिक मान्यताओं पर सीधा हमला है ।
वहीं दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल के उत्तरबंगा सवांद नामक अखबार में संगीर खोजें अस्तिर सीता नामक खबर छपी थी जिसका अर्थ है सीता शेरनी को एक साथी की तलाश है जिसके बाद विवाद बढ़ गया था।
जिस पर पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में स्थित वाइल्ड एनिमल पार्क के अधिकारियों का कहना है कि इन दोनों शेरों के नाम त्रिपुरा में स्थित सिपाहीजला जूलॉजिकल पार्क में ही रखें गये थे और हमारे पदाधिकारियों के मध्य दोनों शेरों के नाम बदलने की चर्चा चल रही थी तब तक याचिका दाखिल कर दी गई।
जानवरों के नाम रखें जाने पर भारतीय कानून क्या कहता है?
वास्तविक रूप से जब भी किसी जानवर को किसी चिड़िया घर / नेशनल पार्क अथवा जूलॉजिकल पार्क में शिफ्ट किया जाता है तो वहां के पदाधिकारियों द्वारा इस जानवर की खानें पीने, स्वास्थ्य की देखभाल, रहन सहन की व्यवस्था, समयावधि पर वैक्सीन,दवा इत्यादि देने का कार्य किया जाता हैं जिसके लिए प्रत्येक जानवर को एक पहचान चिह्न दिया जाता है जिसमें प्रत्येक जानवर का नाम भी रखा जा सकता है क्योंकि नाम के आधार पर किसी भी जानवर की आसानी से पहचान हो जाती है किंतु किसी भी जानवर का नाम रखें जाने के लिए भारतीय कानून में कोई भी प्रावधान नहीं है जिसके आधार पर जानवर का नाम रखा जा सकता हो अथवा नहीं ।
ईशनिंदा क्या होता है ?
किसी भी धार्मिक मान्यताओं, धार्मिक प्रतीकों अथवा धर्म का मज़ाक़ बनाना ईशनिंदा के अंतर्गत आता हैं , ईशनिंदा के लिए विभिन्न देशों में अलग अलग कानून हैं किंतु भारत में फिलहाल ईशनिंदा को लेकर कोई कानून नहीं है किंतु विभिन्न IPC की धाराओं में ईशनिंदा को लेकर मुकदमा दर्ज कराया जा सकता है और ईशनिंदा करने वाले व्यक्ति के खिलाफ ट्रायल कोर्ट में मुकदमा चलाया जा सकता है।
सिपाहीजला जूलॉजिकल पार्क के बारे में
सिपाहीजला जूलॉजिकल पार्क भारत के त्रिपुरा में स्थित एक वन्यजीव अभयारण्य है जो कि 18.53 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ है , इस अभ्यारण्य को 1987 में संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया था
निष्कर्ष – अगर इस मामले को देखा जाए तो देश में ऐसे बहुत से मामले है जिनके आधार पर बार बार धार्मिक भावनाओं को आहत किये जाने का प्रयास होता रहा है हालांकि इस मामले पर हाईकोर्ट ने सुनवाई की है लेकिन फिर भी जनसहयोग से ही इस तरह के मामलों को सुलझाने का प्रयास किया जाना चाहिए अन्यथा यदि इस तरह से केस दर्ज कराए जाएं तो अदालत में इस तरह के केसों की लंबी फेहरिस्त हो जाएगी ।
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