Wriiten by – सौरभ उनियाल शौर्य
लाखों विद्यार्थियों का सपना, उम्मीद, चाहत होता है यूपीएससी को क्रैक करना; एक सम्माननीय, प्रतिष्ठित पद पर बैठना, उस एक गाड़ी पर घूमना( नीली बत्ती वाली गाड़ी से प्रसिद्ध) पर घूमना, लोगों का चारों तरफ जमावड़ा, हर किसी का सर या मैम कहकर पुकारना, नाम के साथ कलेक्टर, जिलाधिकारी, आईएएस जैसे शब्दों का जुड़ना….वाकई क्यों न हो फिर यूपीएससी लाखों लोगों का सपना!
किंतु,इन सब चाहतों से परे कुछ और ख्वाइश इस परीक्षा/ पद को अधिक लोकप्रिय कर देता है जैसे सकारात्मक परीक्षा परिणाम के मां बाप के आंसुओं की कीमत, तुरंत होने वाली प्रसिद्धि, मित्र मंडली में सर्वोच्च स्थान, साथ ही कईयों की वियोग श्रृंगार में ली हुई शपथ! अब जब सब कुछ एक परीक्षा से मिल जा रहा हो तो क्यों न करें कोई यूपीएससी को तैयारी, क्यों न कोई आजमा ले एक बार…. हैं न ?
वैसे तो इन्हीं आधारभूत कारणों/ सपनों से शुरू होता है एक अभ्यर्थी का सफर शुरू लेकिन उससे पहले एक बार पूरा पढ़े कि अगर इन चाहतों / सपनों की वजह से यूपीएससी चुना गया है तो फिर यूपीएससी आपको छोड़ देगी। एक बार साक्षात्कार के उस प्रश्न को देख लें कि “आप आईएएस/ आईपीएस क्यों बनना चाहते हैं?” और जवाब कि -समाजसेवा! क्यों सही है न?
— मेरे दृष्टिकोण में यूपीएससी
हालांकि ऊपर की सारी बातें भी सच हैं आखिर क्यों न हों वो सारी चाहतें कुछ गलत नहीं उनमें किंतु दोस्त साथ ही ये भी समझना आवश्यक होगा न कि यह एक जिम्मेदारी और जवाबदेही का कार्य भी है। हम सभी इसकी परीक्षा के तीनों चरणों से अवगत हैं किंतु इनके साथ एक परीक्षा और भी है जिसको बोर्ड नहीं प्रकृति लेती है, आपके मन में सवाल उठ रहें होंगे कैसी बातें कर रहे उनियाल जी लेकिन दोस्त यह सच है एक अन्य परीक्षा भी है और वो है – काबिलियत की परीक्षा। जब तक किसी के भीतर पद की काबिलियत नहीं आ जाती तब तक वह उस पद से दूर ही रहेगा।
आइए एक बार समझ लेते हैं – यूपीएससी का पहला चरण प्रीलिम्स, जो व्यक्ति के ज्ञान( सूचनाओं के संग्रहण) की जांच करता है; दूसरा मेन्स क्या देखेगा, कौशल का भेद जानना चाहेगा और अंतिम साक्षात्कार यानी व्यक्तित्व की जांच। अब आप बताइए ये सारे गुण किसके पास होंगे ? काबिल व्यक्ति के पास न!
काबीलियत कैसे ?
देखिए वैसे तो किसी भी क्षेत्र में काबिलियत हासिल की जा सकती है बस हमारे अंदर समर्पण की भावना जागृत होनी चाहिए; लेकिन साथ ही यह समझने की आवश्यकता भी है कि वास्तव में मैं इसके योग्य हूं भी या नहीं या फिर एक ट्रेंड का हिस्सा मात्र हूं ! साधारण शब्दों में कहें तो यह जानना कि ये मेरे बस का है भी या नहीं? सिर्फ परीक्षा नहीं बल्कि पद भी ! तो आप यह जान चुके हैं कि आप योग्य है और मुझे इसी में समर्पित होना है, तो आइए समझ लेते हैं कुछ गुणधर्म :- आपने भी कई सफल लोगों को कहते सुना होगा कि “जो बनना चाहते हो , उसी में जीना शुरू कर दो” बस यही है सिद्धांत जो बनना चाहते हो उसी की तरह आपकी हर एक हरकत हर एक चाल होगी…. हुबहू! हर एक क्षण खुद को महसूस कराते रहें कि आप कौन है?
“अगर आप वो बन चुके हैं जो आप बनना चाहते हैं तो फिर आप वो बनने वाले हैं।”
सौरव उनियाल शौर्य
JUST FEEL HONA CHIYE Yrrr…
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